।। ओ३म् ।।
प्रारम्भते न खलु विघ्नभयेन नीचै: प्रारम्भ विघ्नविहिता: विरमन्ति मध्या:।
विघ्नै: पुन: पुनरपि प्रतिहन्यमाना: प्रारब्धमुत्तमज्जना: न परित्यजन्ति।।
भारतीय ज्ञान प्रणाली के लिए उत्कृष्टता केंद्र, संस्कृति क्लब व संस्कृत भारती, आई आई टी, खड़गपुर द्वारा 10 अक्टूबर 2021 को आयोजित “ गीता श्लोकोच्चारण प्रतियोगिता " में श्रेष्ठतम प्रदर्शन के लिए निम्न छात्रों को हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाइयाँ।